Special Report: मानसिक बीमारियों से जूझते कोरोना से रिकवर होने वाले

Special Report: मानसिक बीमारियों से जूझते कोरोना से रिकवर होने वाले

नरजिस हुसैन

कोरोना से आज पूरी दुनिया में लाखों लोग मर रहे हैं। दवाओं और वैक्सीन की गैर-मौजूदगी के चलते अभी और कितने लोग अपनी जान से हाथ धोएंगे यह मालूम नहीं। ये अफसोस की बात तो है ही लेकिन, उससे भी कहीं ज्यादा दुख इस बात का भी है कि जो लोग कोरोना से ठीक हो रहे हैं वे कुछ महीनों बाद मानसिक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।

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दरअसल, इटली के मिलान में हुए एक शोध (https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S0889159120316068)) में बात सामने आई है कि जो लोग बीते महीनों में कोरोना पॉजिटिव हुए और ठीक भी हो गए वे लोग ठीक होने के कुछ महीने बाद ही कई मानसिक बीमारियों की चपेट में आ गए। इटली के सॉन रॉफेल अस्पताल में कोरोना से ठीक हुए 402 लोगों पर जब अध्ययन किया गया तो मालूम चला कि 55 प्रतिशत लोग मानसिक तौर पर बीमार थे। इनमें 28 फीसद लोग पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसआर्डर (पीटीएसडी) के शिकार थे, डिप्रेशन में 31 प्रतिशत लोग थे, एंजाइटी में 42 फीसद। हालांकि, 40 प्रतिशत को इन्सोमनिया था और 20 फीसद में ऑबसेसिव कम्पल्सिव (ओसी) के लक्षण थे।  

इस बात से तो वाकई इंकार नहीं किया जा सकता कि कोरोना का डर इसके मरीजों में तो था ही लेकिन, जो लोग इससे अब तक बचे हुए हैं उनमें भी इसका गजब का डर बना हुआ है। फिलहाल, भारत में अब तक इस तरह का कोई आंकड़ा सरकारी या गैर-सरकारी संगठन किसी ने भी इकठठा नही किया है लेकिन, यहां भी कोरोना पॉजिटव और नेगेटिव दोनों ही तरह के लोगों में इसकी वजह से मानसिक परेशानियां पैदा हो रही हैं। ब्रेन, बीहेवियर एंड इम्युनिटी नाम की पत्रिका में यह शोध 03 अगस्त को प्रकाशित हुआ जिसमें बताया गया कि पीटीएसडी, डीप्रेशन और एंजाइटी जो इस दौर में बढ़ रही हैं ये सभी असंचारी यानी नॉन कम्युनिकेबल बीमारियां हैं जो किसी भी इंसान को लंबे समय तक एक तरह से विक्लांग बना देती है।     

कोविड-19 संक्रमण का सीधा असर सिर्फ शरीर पर ही नहीं बल्कि दिमाग पर भी पड़ रहा है। इसलिए कोरोना से ठीक होने वाले लोगों पर शोध अलग-अलग संगठनों या संस्थानों को लगातार करते रहना चाहिए ताकि कोरोना से ठीक होने वाले मानसिक तौर भी लंबे समय तक पूरी तरह से ठीक रहे। इसमें शोध करने वालों ने यह भी देखा कि कोरोना से मरने वालों में जहां ज्यादा तादाद पुरूषों की है वहीं कोरोना से ठीक होने में औरतें आगे है लेकिन, मानसिक बीमारी की शिकार सबसे ज्यादा औरतें ही हो रही है। और जो मरीज पहले से ही किसी-न-किसी मानसिक बीमारी से जूझ रहे थे कोरोना में तो उनका हाल और बुरा हो गया है। वैज्ञानिकों का कहना है  कि ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि सोशल डिस्टैन्सिंग, अकेलापन, एक-दूसरे से कोरोना फैलने का डर वगैरह कुछ ऐसे कारण है जो लगातार किसी के भी इम्यून सिस्टम और दिमाग पर असर डालते है।      

कोरोना से ठीक होने वाले मरीज जब अस्पताल से छूट कर घर जाते हैं तो कुछ ही वक्त बाद उन्हें एंजाइटी और इंसोमनिया या नींद न आने की परेशानियां पैदा होने लगती है। डॉक्टरों ने इस शोध में यह भी बताया कि इंग्लैंड के कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड-19 के मरीजों का दिमाग सही तरीके से काम करना बंद कर देता है। जिसमें वायरस ही दिमाग में सूजन आना, स्ट्रोक वगैरह का कारण बनता है।

 

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